आपराधिक मानव वध वाक्य
उच्चारण: [ aaperaadhik maanev vedh ]
"आपराधिक मानव वध" अंग्रेज़ी मेंउदाहरण वाक्य
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- और आपराधिक मानव वध विवेचना प्रकोष्ठ व स्थानीय पुलिस के बीच टकराव की स्थिति भी बनी रहेगी।
- अतः अभियुक्त का यह कृत्य हत्या की कोटि में न आने वाले आपराधिक मानव वध की श्रेणी में आता है।
- अतः अभियुक्तगण हत्या की कोटि मे न आने वाले आपराधिक मानव वध के दोशी पाये जाते है जिसके फलस्वरूप अभियुक्तगण पर लगाया गया भारतीय दण्ड संहिता की धारा 304 सपठित धारा 34 का आरोप साबित होता है।
- अतः अभियुक्त का कार्य हत्या की श्रेणी मे न आने वाले आपराधिक मानव वध की श्रेणी मे आता है और अभियुक्त का अपराध धारा 302 भा0द0सं0 से दण्डनीय न होकर धारा 304 (भाग-2) भा0द0सं0 के अन्तर्गत दण्डनीय है।
- वध यदि भारतीय दण्ड विधान के प्रावधान धारा-299 एवं 300 का; डनतकमतद्ध अवलोकन किया जाए तो यह स्पष्ट है कि प्रत्येक हत्या; ब्नसचंइसमी वउपबपकमद्धी वउपबपकमद्ध आपराधिक मानव; ब्नसचंइसम भी है जबकि प्रत्येक आपराधिक मानव वध हत्या; डनतकमतद्ध नहीं है।
- जहां तक मृतका सोमवती का आपराधिक मानव वध किये जाने का प्रष्न है, पत्रावली पर मृतका सोमवती के षव की पोस्ट मार्टम रिपोर्ट क-11 है, जिससे यह सिद्ध है कि मृतका सोमवती की मृत्यु सिर में मृत्यु पूर्व आयी चोटों के कारण हुई।
- विचारण हेतु प्रष्न यह भी है कि क्या अभियुक्त द्वारा उक्त आपराधिक कार्य ऐसी परिस्थितियों में किया गया कि यदि उसके उस कृत्य से चुटैल की मृत्यु हो जाती तो अभियुक्त हत्या की कोटि में न आने वाले आपराधिक मानव वध का दोशी होता?
- उभय पक्ष को सुनने के पष्चात तथा वर्तमान प्रकरण की सम्पूर्ण परिस्थितियों के दृश्टिगत यह स्पश्ट है कि अभियुक्तगण ने हत्या की कोटि मे न आने वाला आपराधिक मानव वध किया है और अभियुक्तगण को यह पूर्ण ज्ञान था कि जो कार्य वह कर रहे हैं उससे मृतक की मृत्यु हो सकती है।
- धारा-308 भा. द. सं. के अपराध के लिए मात्र यह साबित होना आवश्यक होता है कि चोट इस आशय या इस ज्ञान और ऐसी परिस्थितियों में पहुंचायी जाये कि यदि उक्त चोट से चोटहिल की मृत्यु हो जाती तो चोट पहुंचाने वाला व्यक्ति हत्या की कोटि में न आने वाले आपराधिक मानव वध का दोषी होता।
- निश्कर्शः-12-अभियोजन का कथन है कि अभियुक्तगण ने अपने सामान्य आषय को अग्रसारित करते हुये दिनॉक 29. 8.2007 को समय अपरान्ह करीब 6 बजे से 8.45 बजे के बीच थाना घनसाली, जिला टिहरी गढवाल मे स्थित अदवानगॉव मे अवतार सिह की मृत्यु कारित कर हत्या की कोटी मे न आने वाला आपराधिक मानव वध का अपराध किया है।
- अभियुक्तगण द्वारा कोई सफाई साक्ष्य प्रस्तुत नही किया गया निश्कर्श 12-अभियुक्तगण सीता राम नेपाली एवं जनक बहादुर नेपाली पर आरोप है कि दिनॉक 31. 8.09 को ग्राम कण्डियालगॉव पट्टी खास थाना नई टिहरी, जिला टिहरी गढवाल मे समय करीब 6.00 बजे षाम अभियुक्तगण ने अपने सामान्य आषय को अग्रसारित करते हुये परिवादी केषर सिह के भाई बिषन सिह को षारीरिक क्षति कारित करते हुये हत्या की कोटी ने न आने वाला आपराधिक मानव वध किया।
- इस प्रकार पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य से यह सिद्ध होता है कि गणेष सिंह को घटना में चोट आई थी परन्तु अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य से यह कहीं भी सिद्ध नहीं होता है कि आरोपित घटना अभियुक्त द्वारा कारित की गई हो और अभियुक्त द्वारा उक्त आपराधिक कार्य ऐसी परिस्थितियों में किया गया कि यदि उसके उस कृत्य से चुटैल की मृत्यु हो जाती तो अभियुक्त हत्या की कोटि में न आने वाले आपराधिक मानव वध का दोशी होता।
- धारा ३ ० ४ कहती है-' ' जो कोई ऐसा आपराधिक मानव वध करेगा, जो हत्या की कोटि में नहीं आता है, यदि वह कार्य जिसके द्वारा मृत्यु कारित की गयी है, मृत्यु या ऐसी शारीरिक क्षति, जिससे मृत्यु होना संभाव्य है, कारित करने के आशय से किया जाये, तो वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जायेगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा.
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